प्रजातंत्र में जनता ही सब कुछ होती है मगर आज कल जो हमारे देश मे या चुनाव के समय हो रहा है उसे देख कर यही लगता है कि तंत्र मनमानी काम कर रहा है और प्रजा चुप चाप तमासा देख रही है।
विद्रोही अज्ञानता
Sunday, July 4, 2021
Sunday, June 27, 2021
किसान आंदोलन
किसानों के द्वारा जारी आंदोलन के सात महीने हो गए मगर हैरानी की बात ये है कि हमारे द्वारा चुनी हुई सरकार किसानों से बात करने की बजाए उन्हें आतंकवादी देश द्रोही न जाने क्या क्या कह कर आंदोलन को कुचलने की कोशिश करती रह गई।जो लोग किसानों के आंदोलन लो गलत समझते है उन्हें एक बात हमेसा याद रखना चाहिए कि सत्ता के द्वारा जब जब किसानों पर कानून थोपा गया है तब तब हमारे देश के किसानों ने विरोध किया है। अगर किसानों के लिए कानून बनाने ही है तो किसानों से बात कर के कानून बनाया जाए।
नील विद्रोह किसानों द्वारा किया गया एक आन्दोलन था जो बंगाल के किसानों द्वारा सन् 1859 में किया गया था। किन्तु इस विद्रोह की जड़ें आधी शताब्दी पुरानी थीं, अर्थात् नील कृषि अधिनियम (indigo plantation act) का पारित होना। इस विद्रोह के आरम्भ में निल नदी के किसानों ने 1859 के फरवरी-मार्च में नील का एक भी बीज बोने से मना कर दिया। यह आन्दोलन पूरी तरह से अहिंसक था तथा इसमें भारत के हिन्दू और मुसलमान दोनो ने बराबर का हिस्सा लिया। सन् 186० तक बंगाल में नील की खेती लगभग ठप पड़ गई। सन् 186० में इसके लिए एक आयोग गठित किया गया।
विद्रोह
विद्रोह या बगावत आज्ञाकारिता या आदेश का इनकार है। यह एक स्थापित प्राधिकरण के आदेश के खिलाफ खुले प्रतिरोध को संदर्भित करता है। विद्रोही या बागी वह व्यक्ति है जो विद्रोह या विद्रोही गतिविधियों में हिस्सा लेता है। कोई विद्रोह किसी उत्पीड़न की स्थिति और अस्वीकृति की भावना से उत्पन्न होता है। फिर इस स्थिति के लिए जिम्मेदार प्राधिकारी का न पालन करने द्वारा स्वयं प्रकट होता है।
विद्रोही अज्ञानता
शब्द - शब्द विद्रोही होगा, गीत क्रांति की भाषा होंगे
सत्य पराजित होगा तब, हम परिवर्तन की आशा होंगे.
धन्यवाद
प्रजातंत्र
प्रजातंत्र में जनता ही सब कुछ होती है मगर आज कल जो हमारे देश मे या चुनाव के समय हो रहा है उसे देख कर यही लगता है कि तंत्र मनमानी काम कर रहा...
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शब्द - शब्द विद्रोही होगा, गीत क्रांति की भाषा होंगे सत्य पराजित होगा तब, हम परिवर्तन की आशा होंगे. धन्यवाद